तपती धूप में वो
छांव बन जाते है!
मेरे खातिर पतवार
सहित नाँव बन जाते हैं!
पापा ऐसे होते है
खुद की रंगत उडाकर
श्वेत रंग दे जाते है!
बस खुशियां देते
मेरा ग़म ले जाते हैं!
पापा ऐसे होते है
बारिस में छतरी बन।
भींगने से बचाते हैं!
खुद भींगते रहते हैं
और गीत गुनगुनाते हैं!
पापा ऐसे होते हैं...
सर्द ठंड में दुशाला बन
मुझे सीने से लगा लेते है!
आगोश में आकर उनकी
हम चैन की नींद सो लेते हैं!
पापा ऐसे होते हैं
लता नायर,सरगुजा, छत्तीसगढ़