वो टीटी

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


आज भी याद है वो चेहरा 

जिसमें आकर्षण था घनेरा

बाम्बे स्टेशन पर टीटी का पहरा

उस टीटी से नजर न हट रही थी मेरी 

तब बाल अवस्था पड़ाव था मेरा।।


आज अर्ध उम्र के पड़ाव पर पहुंचने वाली

पर वो भोली सूरत आंखों में बसाली

न जाने क्या उस टीटी के व्यक्तिव में जिसे

मन मंदिर में बसा आज तक मैं छुपाली ।।


कांति, आभा , चमक, ललक हर सौंदर्य

संग मैं दिल में एक ख्वाब सजाली।।

जानती बालपन का वो पहला आकर्षण

जिसे न चाह कर भी मन ही मन मैं पा ली।।


आज उस वर्षों बीत गये जिंदगी में मेरी

पर वो नजरों का मिलन ना मैं भुला दी

सच कभी-कभी कुछ एसी यादें रह जाती

जो भूले भुलाए नहीं जाती।।


वीना आडवाणी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र