उसे खोजने के लिए
एक रोज़
मैं घर से निकल गया
एक रास्ता ही सहारा था
पर आगे रास्ते से रास्ता निकल गया।
सूरज डूब चुका था
सितारों से
थोड़ी रोशनी उधार माँग ली
दिल धड़क रहा था
पर मैंने दिल को सँभाल ली।
मेरे पाँव कितना चले होंगे
यह मैं जानता हूँ
कितने ख़्वाब मन में तरह-तरह के
एक साथ पले होंगे
यह मैं जानता हूँ।
उसे देखने से आँखों को
जो सुकून मिलता है
सच कहता हूँ
उसके प्यार में सब कुछ मिलता है।
महेन्द्र मद्धेशिया
पता— गाँव सलहन्तपुर, पोस्ट ककरहवॉ, जनपद सिद्धार्थनगर~272206 (उत्तर प्रदेश)
छात्र— दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर
मोबाइल नम्बर— (+91) 7266021791