कोख में जब तू मेरे आया
तन- मन मेरा रोमांचित हुआ
माँ बनी सुखद अहसास हुआ
नौ माह हर दिन खास हुआ
जब तुझको अपनी गोद लिया
खुशी के आँसू छलक उठे थे
गणपति बप्पा का आशीष तू
कोख में अपने संस्कारों की
तुझको हर पल मैंने सीख दिया।
भूल न जाना मेरे प्यारे बच्चे
तू तो मेरे जिगर का टुकड़ा है
जब तक साँस चलेगी मेरी
ममता वात्सल्य लुटाती रहूँगी
तू छू ले गगन को राह मैं बताऊँ
जो अब तक न किया किसी ने
ऐसे पथ का निर्माण तू करना
मेरा लाल तू मेरा गौरव बनकर
गर्वित मस्तक माँ-बाप का उठाना।
एक ही सीख मैं तुझको दूँगी
कर्तव्यों से कभी न घबराना
तुझमें इतनी हिम्मत भर दूँगी
दुश्मन तेरे नाम से काँपेगा
मानवता का रक्षक बनकर तू
ध्रुव तारे सा आसमाँ में चमकेगा
माँ की दुआएँ साथ तेरे रहेंगी
तू जग में रोशन मेरा नाम करेगा।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश