चिंता न हो , न हो होना चाहिए,
यह बुरा रोग है बचना चाहिए।
दो-चार दिन हंस कर गुजार लो,
यह जीवन बेकार नहीं होना चाहिए।
मानव जीवन न मिलेगा दोबारा,
इसे खुशी खुशी से बिताना चाहिए।
छल कपट सब छोड़ दें ,
निर्मल मन रखना चाहिए।
दूषित हो गई है मानसिकता,
अब थोड़ा सा शुद्ध होना चाहिए।
क्यों जटिल बनाते हो जीवन,
जीवन सदा सरल होना चाहिए।
नहीं दे सकते किसी को कुछ,
चेहरे पर मुस्कान अपने रखना चाहिए।
हिसाब मत कर बराबर अपनों से,
वह मिले न मिले तुझे मिलना चाहिए।
बुरा ख्याल न कर किसी के बारे में,
दुआओं में सबको याद करना चाहिए।
नीरज सिंह
टनकपुर चंपावत
9719537079