युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
भगवान श्री राम जब शिशु क्रीडा कर रहे थे ,
तब वह कौन मदारी था ? जो बंदर का तमाशा
दिखाने आया था , स्वयं मदारी और स्वयं ही
बंदर, वही तो रूद्र है और तमाशा देखने वाला
भी कौन था ? वही रूद्र ही ।
#एको_हि_रूद्रो_न_द्वितियाय_तस्थु:
वह स्वयं तमाशा भी है और तमाशाई भी ।
हिंदुओं में मान्यता है ( ब्रह्मा, विष्णु, महेश )
त्रिदेवोपासना और ( गणेश- शक्ति- शिव-
विष्णु- सूर्या ) पंचदेवोपासना की ; किंतु एक
ही आदि शक्ति त्रिरूप पाञ्चरूप में अभिव्यक्त
होकर लीलायमान है । एक परमात्मा सृष्टि ,
स्थिति और लय का कारण है , जैसे- मकड़ी
स्वयं ही जाला बनाती है और स्वयं ही उसे
अपने में समेट लेती है, वैसे ही एक अजन्मा
अनेक रूपों में जन्म लेता है श्रुति कहती है -
#अजाय_मानो_बहुधा_वि_जायते
भगवती श्री सीता जी ने पंचाक्षर शिव मंत्र
द्वारा श्री हनुमान को तृप्त किया था ।
लंका से वापस आने पर श्री सीता जी ने एक
दिन श्री हनुमान जी को प्रसाद ग्रहण करने के
लिए निमंत्रित किया । वे उनको बार-बार भोजन
परोसती गई और वे उसे समाप्त करते गए ।
श्री सीता जी आश्चर्यचकित हो गई । उन्होंने ध्यान
योग से समझा कि हनुमान तो साक्षात गंगधर
रुद्र है , जो बानर रूप में प्रकट हैं , उन्होंने
#नमः #शिवाय मंत्र का उच्चारण कर भोजन
अर्पित किया ।श्री हनुमान जी तृप्त हो गए ।
#ध्यान_योगे_मां_जानकी_दे_खिला_सत्वर ।
#वानर____रूपेते____अवतीर्ण___गंगधर ।।
#नम:#शिवाय_बले_अन्न_दिल_हनूर_माथे
पर ब्रह्म रूद्र रूप हनुमान जी की महिमा
उन्हीं की कृपा से समझ में आ पाती है । वे
सर्व मंगल निधि सच्चिदानंद धन पर ब्रह्म
परमात्मा है । दास्य भक्ति रसास्वादन के लिए
उन्होंने हनुमान रूप में प्रकट होकर श्री राम की
सेवा की । वे श्री राम पद पदममकरंद के
मधुकर हैं ।
मूल लेखक : श्री राम रतन शाह
संकलनकर्ता : मनोज शाह मानस
साभार : राम रत्न मंजूषा पुस्तक