अपना बना कर
तुमने मुझे हँसाया न
हँसा कर मुझे
आज तुमने भी रुलाया न
मुझे मैं से हम
तुमने बनाया ना
मुझे हम बना कर
आज तुमने भी ठुकराया न
सबके लिये जीना छोड़
खुद के लिए जीना
तुमने ही सिखलाया न
आज खुदगर्जी का
इल्ज़ाम लगा कर
खुदगर्जी का थपड़
तुमने ही तो मारा न
अब जो बदल गई हूं
तो क्यों ये तकलीफ हुई
मतलबी बनना भी
तुमने ही बतलाया न।
-- लवली आनंद
मुजफ्फरपुर, बिहार