प्रेम - संबंध

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

प्रेम का संबंध स्वार्थ से होता नहीं, इस

निस्वार्थ यात्रा पर हर कोई चलता नहीं।

वसंत ऋतु आई सजन मन में जागे प्यार

भंवरा करे हर फूल से प्रेम भरी मनुहार।

 प्रेम की हवाओं नें महका दिया तन को 

दिल कर रहा है प्रेम के आसमां में उड़ते 

रहें हम तो।

बूंद-बूंद से प्यार की घट को भरते जायें

ज्यों - ज्यों बांटें प्रेमरस त्यों - त्यों बढ़ता 

जाये।

तेरे- मेरे बीच प्रेम का रिश्ता प्रेम से है, मंजूर

मंजूर हमें है प्रेम बसंत का, प्रेम- बसंत संगीत ।

रमा निगम वरिष्ठ साहित्यकार 

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