मन असत्य से दूर हो, दे सबको सम्मान।
शुद्ध ज्ञान है साधना, जिससे मैं का त्याग।
गहन ध्यान अनिवार्य है, बढ़ता मन अनुराग।
मैं मेरा सब दूर हो, जगता मानव प्रेम।
जीवन ज्ञान प्रयोग हो,वही बड़ा है नेम।
आत्मा में मन विलय हो, यह गीता का ज्ञान।
चित्त शुद्ध आधार हो सत्य शरण भगवान।
धीरज,साहस से रहें, बोलें मधुरिम बोल ।
सेवा युग का ज्ञान है, त्याग सदा अनमोल।
धरा दिवस सम्मान करें, शपथ रखें मन भाव।
माता की रक्षा करें, सहज रहे सद्भाव।
माँ धरती हम हैं,तनय, यह गौरव का भाव।
गलत करें माँ दुख सहे, विडंबना यह घाव।
@ मीरा भारती,
पुणे,महाराष्ट्र।