चरण में शरण,हमको दे दो प्रभु।
ये जीवन अधूरा,तुम बिन प्रभु।।
चरण में शरण-----
हमें चाहिए ना,धन और दौलत।
हमें चाहिए ना,दुनिया कि रौनक।।
हमें अपने चरणों में,स्थान दे दो प्रभु।।।
चरण में शरण------
तुम्हारे बिना प्रभु,कुछ अच्छा लगे ना।
तुम्हारे शिवा कोई,और प्यारा लगे ना।।
तुम्हारे शिवा कोई,अब चाहत नही प्रभु।।।
चरण में शरण-------
खुशी चाहे गम दो,सब स्वीकार है।
तुम पर प्रभु ये,तो जीवन निसार है।।
ये तन मन जीवन,सब तुम्हारा प्रभु।।।
चरण में शरण--------
ये संसार सारा,तुम्हारा प्रभु है।
इस जगत के स्वामि,आप प्रभु है।।
मेरे अधरों पे नाम,सदा तुम्हारा प्रभु।।।
चरण में शरण--------
स्वरचित एवं मौलिक रचना
नाम:- प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई प्रयागराज उत्तर प्रदेश।