जिंदगी क्या

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

कभी कभी कुछ उलझनें,

मुझे परेशान कर देती हैँ ,               

ये जिंदगी क्या है,

कोई कहता है कि,

जिंदगी एक नाटक है

व्यक्ति एक अभिनेता है,

दुनिया एक रंगमंच है,

 व्यक्ति खेलता है भूमिका,

और चला जाता है,

कोई कहता है कि जिंदगी,

ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार है,

हर सांस ईश्वर का आदेश है,  

 हर दिन हर वक्त हर पल

किसी को जिंदगी सिर्फ,

एक खाली प्याला है   , 

उनके लिए जो भाग्य को, 

कोसते हैँ व्यर्थ समझते हैँ,                                    

किसी के लिए जिंदगी ,

 सिर्फ एक जुआ ही  है   ,                                  

व्यक्ति खेलता है और ,

हार कर चला जाता है,

 पर यह सत्य नहीं लगता,

 क्यूंकि कुछ मरकर भी जीते हैँ,                                 

महान लोग मरकर भी जीते,

और उड़ान भरते हैँ,

 आजाद भगत सिंह टेरेसा, 

 बापू तुलसीदास कलाम,                                       

दुनिया से गए पर नाम,

ऊँचा है चमक रहा है

हम ईश्वर से हार जाते हैँ,                                      

जिंदगी या साँसो से नहीं,

 एक राज है जिंदगी,

एक पहचान है जिंदगी,

चलती गाड़ी का नाम है जिंदगी,

हर दूसरी सांस की मोहताज है जिंदगी,                     

फिर से वही आता है,

 कि जिंदगी क्या है,

मुझे उत्तर मिलता है,

खुद अपने आप से,

जिंदगी को समझता है,

वही  जो जीता है, 

हर  व्यक्ति के लिए, 

जीवन का मतलब अलग है,

  उपहार है चुनौती है प्रेम है,

 पानी है कहानी है स्वप्न है, 

बहुत कुछ है जिंदगी,

जीने की कला और सोच है

 पूनम पाठक "बदायूँ"