किसी को मिलता खाने को मनपसंद
किसी को मुश्किल है दो वक्त का निवाला
खा रहा कोई बादाम काजू किशमिश
मन चाही चीजें खा रहा पैसे वाला
कोई पहन रहा ब्रांडेड कपड़े
मुश्किल से कोई धोती जुटाता है
किसी के पास जूते हैं पचास जोड़ी
चप्पल के लिए भी कोई तरस जाता है
ए सी में आराम से सोता है कोई
कोई गर्मी में खेतों में पसीना बहाता है
साधन सम्पन तो खरीद लेता है पैसे देकर
किसान को मेहनत का फल नहीं मिल पाता है
महंगी कारों में घूमता है कोई ज़िन्दगी भर
किसी को साइकिल भी नसीब नहीं होती
कान्वेंट स्कूलों में पढ़ाता है कोई बच्चों को
किसी की संतान पढ़ाई के लिए है रोती
बहुत से ऐसे लोग हैं जो चल नहीं पाते हैं
अपने हाथ से खा नहीं सकते दूसरे खिलाते हैं
बड़ी बात हैं जो हम चलते फिरते कमाते खाते हैं
हैरानी यही है कि जिसने दिया उसी को भूल जाते हैं
रवींद्र कुमार शर्मा
घुमारवीं
जिला बिलासपुर हि प्र