सबसे अल्पायु का शहीद,
समर्पित, राजगुरु, सुखदेव,
आज़ाद क्रांति - वीर केसंग,
सुशोभित इंकलाब के रंग।
विधान सभा पर गिरा बम,
था अहिंसा का ही प्रक्षेपण ।
उद्देश्य था कि,साम्राज्यवाद,
पर युवा विचार प्रहार-प्रण ।
सपूत, युगों-युगों का प्रहरी,
शोषित-वर्ग का हित-कामी।
संसार-सुख रहा, तृण - वत,
शहादत शौर्य-पथअनुगामी।
आत्मा तुलसी-सी भू-पावनि,
स्नेह से देखती, सितम-इंतहा,
पढ़ विश्व-क्रांति के विचार,हुआ
मानव-अस्मिता हेतु बलिदानी।
दीवाना जन-अधिकार प्रेमी,
स्वतंत्रता उसकी महारानी।
माँ रंग दे मेरा वसंती चोला,
बनी राष्ट्र की अमर कहानी।
@ मीरा भारती
पुणे, महाराष्ट्र।