क्या है यह?
लफ्ज़ नहीं है सिर्फ़
जिसे बाँध लिया जाए
किसी सीमा में
और खत्म कर दिया जाए
उसकी अंतहीनता को
प्यार...
वस्तु भी नहीं है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे-धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है!!
प्यार...
है नयनों में भरा सपना
जो कई अनुरागी रंगों से रंगा
चहकता है पक्षी सा
अंधेरों को उजाले से भरता
नदी सा कल-कल करता
बूंद को सागर कर जाता है!!
प्यार...
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक-दूजे में खो जाता है
कंटीली राह पर चल कर भी
जीवन को फूलों सा मह्काता है !!
राजेंद्र राठौड़
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश