जीवन सूना मीत बिन, रीता है संसार,
घी के बिन दीपक नहीं, बाती का आधार।
प्रियतम तेरे बिन मुझे, नहि है जीवन चाह,
तुम बिन साजन अब मुझे, सूझे नहि कुछ राह।
सूना सा संसार सब ,किसे सुनाऊंँ हाल।
संगी साथी बदल गए, बदले नहि अब चाल।
पूछे कोई बात नहि, अब ना पूछे हाल।
सूनी है जीवन डगर, आए पास न लाल।।
बैठी हूं कब से बता, आये कोई पास।
राह निहारुँ में सदा, कोई तो दे आस।
जीना मेरा निरर्थक , तुम बिन साजन आज।
याद करूं निसदिन तुझे, तुम बिन सूना साज।
पूरे दिन में शांत थी, चुप्पी का एहसास।
रात का सन्नाटा कहे, आप मुझे थे खास।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा