श्रद्धा और आस्था का केंद्र माहूंनाग मन्दिर

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

नैणा गिरी पर्वत श्रृंखला में सृष्टि रचना के आदिकाल से अनेक देवी देवताओं ने अपना आश्रय बनाया । उन्ही में से एक है आनी क्षेत्र के माहूंनाग जो विकासखण्ड आनी से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर ठोगी गांव में अवस्थित है। यहां मन्दिर के साथ अब आनी से यातायात की सुलभ लिंक रोड की सुविधा हाल में ही हो पाई है।

● चारों तरफ विशाल पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है यह स्थान

मन्दिर के चारो तरफ अगर नज़र डालें तो यहां से ब्रह्मखण्ड श्रृंखला, जोगणिधार, जोत की पहाड़ी, चवासिगढ़, मरोगी जोत की पहाड़ी एवं कंडागई का अवलोकन होता है । 

● प्रहरी बने अनेक दिव्य शक्तियां

अलौकिक शक्तियों के भंडार माहूंनाग की शक्तियों से यहां से क्षेत्र के सभी जन समुदाय परिचित हैं । यहां मन्दिर के बाहर कुमकुम केशर आकर्षण करने वाली योगिनियाँ, रुरु भैरव, ब्रह्मखण्ड 64 योगिनी पीठ की मोहिनी योगिनी 【जिनका जिक्र गुप्त योगिनियों में आता है 】 वीर ,पाताल बाहण के रूप में स्तम्भों में स्थापित है और इस मंदिर में जहल देवते को विशेष रूप से पुजारी के द्वारा आवाहित किया जाता है । माना जाता है कि  जहल देवता ही माहूंनाग के सभी प्रकार का कार्यभार सिद्ध करने में सक्षम है । 

● मन्दिर परिसर के बाहर भगवान शंकर की स्थापना

मन्दिर परिसर में विशाल पीपल के वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग की स्थापना की गई है । जिसे सन 2010 में स्थापित किया गया था। यहाँ पर प्रातः सायं दोनों समय पूजा अर्चना की जाती है।

सन्तान प्राप्ति के लिए विख्यात है माहूंनाग का मंदिर बहुत समय से यह दिव्य स्थली नि:सन्तानो के लिए किसी चमत्कार से कम नही है । हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों से लोगों की आस्था इस मंदिर में बहुत वर्षों से जुड़ी हुई है । यहां रात्रि ठहराव के लिए पर्याप्त सुविधा है ।

राज शर्मा 

आनी कुल्लू हिमाचल प्रदेश

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