त्योहारों से कुछ आस पाली है
पैसा आएगा तभी दिवाली है l
दीये पसंद किए जाएंगे मिट्टी के
हर घर में गृह लक्ष्मी भारतीय नारी हैl
दीया जलाना ऐसा मिटे अंधियारा
बुराई मिटे हर जगह हो उजियारा l
जरूरी नहीं मेरा कुछ भी बोलना
किसी गरीब की दुकान न छोड़ना l
तुम मनाओ दिवाली खुशी से
खरीद लो दीये घर जाऊं ख़ुशी से l
पूनम पाठक बदायूँ
इस्लामनगर बदायूं