'सप्रेम-दिवस' का चार-दिवसीय विभिन्न कार्यक्रमों का 18 नवम्बर से आनलाइन आयोजन

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

 गम्भीरपुर आजमगढ़। 17 नवम्बर, २०२१, कला,साहित्य,संगीत,शिक्षा व सामाजिक सेवाओं पर आधारित 'सप्रेम संस्थान' के तत्त्वावधान में 'सप्रेम-दिवस' का चार-दिवसीय विभिन्न कार्यक्रमों  का ऑनलाइन आयोजन दिनांक 18 से 21 नवम्बर 2021 तक किया जा रहा है। जिसमे देश के विभिन्न प्रांतों से चित्रकार,संगीतकार,कवि,साहित्यकार व आम जनमानस की भागीदारी होगी।   

सप्रेम संस्थान के आयोजक सदस्य व चित्रकार भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि यह आयोजन वरिष्ठ प्रवक्ता,समाजिक-आध्यात्मिक चिंतक निरंकारी सन्त श्री प्रेम नारायण लाल जी के पाँचवीं पुण्य-स्मृति पर किया जा रहा है। इस चार-दिवसीय आयोजन के अंतर्गत कुल 05 कार्यक्रम होंगे, जिसका भव्य शुभारम्भ गुरुवार 18 नवम्बर की शाम, एक बहु-माध्यम चित्रकला शिविर से होग। जिसमे मुख्य अतिथि वरिष्ठ चित्रकार, कला समीक्षक व इतिहासकार श्री अखिलेश निगम के वक्तव्य और कला शिविर में भाग ले रहे विभिन्न प्रांतों के नौ कलाकारों के परिचय से किया जायेगा।

कला व साहित्य विषय से सम्बंधित परामर्श-सत्र भी इस बार विशेष रूप से किया जा रहा है। साथ ही गत वर्ष की भाँति 'चलो, प्रेम के सपनों को साकार करें हम' शीर्षक पर आधारित एक 'काव्य-गोष्ठी' भी शुक्रवार ,19 नवम्बर 2021 की शाम की जायेगी, जिसमें कई प्रदेशों से लगभग 25 कवि-जन हिस्सा लेंगे। 'एक शाम, प्रेम के नाम' पर आधारित एक संगीत सन्ध्या का आयोजन भी शनिवार , 20 नवम्बर की शाम को रहेगा, जिसमे देशभर से 08 वादक , गायक/गायिका व संगीतकार जैसे उम्दा कलाकार अपनी सुरों के माध्यम से समां बांधने का प्रयास करेंगे। रविवार , 21 नवम्बर 2021 को संत के जीवन से प्रेरणा लेने हेतु एक आध्यात्मिक-निरंकारी सत्संग का भी आयोजन होगा।

संस्थान के अध्यक्ष डॉ. श्री पुष्पेंद्र कुमार अस्थाना 'पुष्प' ने बताया कि उपर्युक्त सभी आयोजन कोरोना-काल को मद्देनजर रखते हुए ऑनलाइन वर्चुअल माध्यम से आयोजित की जायेंगी। कार्यक्रम में लोगों को जुड़ने की अपील करते हुए डॉ. पुष्प जी ने बताया कि हिस्सा लेने हेतु हर कार्यक्रम के लिंक के द्वारा जुड़ा जा सकता है। 

ज्ञातव्य हो कि निरंकारी सन्त श्री प्रेम नारायण लाल जी निरंकारी मिशन के वरिष्ठ स्थानीय प्रचारक की भूमिका में वर्षो-वर्ष निभाने के साथ एक प्रवक्ता के रूप में सैकड़ों बच्चों के भविष्य को सँवारा और आडम्बर-हीन सहज व सादगी भरा जीवन जीकर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने रहे। हिंदी,उर्दू विषय के विद्वान भी रहे। 21 नवंबर 2016 को 72 वर्ष की अवस्था में ब्रह्मलीन हो गए थे।