जीत गई हिम्मत से

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

न हारी है मानवता

और न ही दुनिया बड़ी है

दीया जलता है हमेशा

और हवा हमेशा ही चली है

घोड़ा हमेशा तेज दौड़ा

हाथी हमेशा धीमे चला है

खाली गागर बोल उठी

पत्थर पर्वत मौन खड़ा है

कलम ने जो भी लिखा

कागज ने सब सुना है

कागज सबको पढ़ाता

न उसने विरोध किया है

जिसने की है यहाँ चिंता

वह संसार में रोया है

नहीं की  जिसने चिंता

वह भी तो यहाँ रोया है

कोई तो खोकर रोया है

और कोई पाकर रोया है

यह सब दुनिया है और

दुनिया का सब तराना है

कितने कसमें तोड़ते हैं

कितने कसमें खाते हैं

कोई पत्थर को पूजता

कोई पत्थर है मारता है

कोई माँ को न माँ माने

कोई गाय को माँ मानता है

सूरज  भू से जल लेता

सब वापस कर देता है

चढ़ावा अगर गरीबी मिटाये

यह कहने में क्या खता है

मन के भाव हैँ ये सब

ईश्वर ही सब कुछ देता है

धर्म तो वही बढ़ाता है

स्वार्थ जिसमें नहीं आता है

ईश्वर कण कण में बसता

न उतारो जीवन में बस्ता

बहुत होता तेरा और मेरा

जन्म मृत्यु क्यों एक यहाँ

चींटी पहाड़ पर चढ़ जाती

नहीं जानती क्या ऊंचाई

जीत गई है हिम्मत से ही

होंसले से क्या चीज बड़ी


पूनम पाठक बदायूँ

इस्लामनगर बदायूँ उत्तर प्रदेश