करवा चौथ

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

प्रीत पिया संग ऐसे मोरा जैसे चाँद और सूरज,

वो नरेश है दिवा का,मैं यामिनी की मृण्मयी मूरत।

करवाचौथ के पावन पर्व पर माँगूं बस यही वरदान,

अखंड सुहाग से माँग सजे,रहे जीवन भर का साथ।

उसकी स्वर्ण आभा से मैं दमकुं बनके चाँदनी,

वो है मेरे प्रीत का सावन,मैं हूँ उसकी जोगनी।

क्षिति धरा पर साथ अपना छेड़े प्रीत की रागिनी,

साज सरगम का आवर्तन,ज्यों मेघा की दमिनी।

अस्ताचल में सूर्य शशि का संगम होता अद्भुत,

क्षणिक बेला में चिर प्रीत स्तम्भ आधारभुत।

          रीमा सिन्हा (लखनऊ)