नव दुर्गा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


नवशक्ति स्वरूपा आप 

सृष्टि आधार हैं।

क्षमा शांति पुष्टि लज्जा 

और ममता का संसार हैं।

हरतीं मन का कलुष हमारे 

हे कल्याणी तुम्हें प्रणाम।

भद्रकाली काली श्री जयंती 

और मंगला नाम अभिराम।

धात्री, शिवा, कपालिनी, 

दुर्गा जन-जन का 

दुःख हरती हैं।

स्वधा,भ्रामरी,राधा,सीता 

दोषमुक्त भी करती हैं।

असुर नाशिनी 

कलुष विनाशिनी 

जगती का कल्याण करो।

आज सुनीता तुम्हें पुकारे 

मुझमें भी नवप्राण भरो।

विद्या, बुद्धि,विवेक दायिनी 

भक्ति मेरी स्वीकार करो।

विघ्नहारिणी हे कात्यायनी 

मेरा भी अब त्राण करो।


सुनीता सिंह 'सरोवर' वरिष्ठ 

कवयित्री व शिक्षिका,उमानगर,

देवरिया-उत्तर प्रदेश