सपनों की दुनिया


युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

दूर कहीं सुन शहनाई की धुन

यूं लगी मेरे द्वारे मेरी बारात हैं आई

फूलों की सेज में बैठ,

मैंने बुने कई सपने सुहाने

सुहाने दिन,सुहाने पल है आए,

दिल से दिल के मिलन की सौगात लाई

सोई हुई चाहतों ने ली झुमके अंगड़ाई

मेरे कानों में कोई मीठे गीत गुनगुनाए

पाके इतनी बड़ी सौगात,

भूल गई मैं इस संसार को खो गई सपनों में

कहीं से एक हवा का झोंका आया

ले गया मेरे अरमानों को लूट के,

खो गए कहीं वो सुहाने दिन,

वो सुहाने सपने मेरे,

रह गई कांटों की सेज तड़पती राते

रोता है दिल करता है फरियाद

कोई लौटा दे मेरे गुजरे हुए पल को

जिसे में समेट लूं अपने आंचल में

छुपा लूं इस निर्मोही संसार से

यहां इंसान नहीं शैतान बसते हैं

दूसरों की खुशियों से जो जलते हैं

दुनिया तो जीने नहीं देती

इसलिए मैंने सपनों में जीना सीख लिया है

मैंने बंद पलकों में बुने है सपने

डूब जाती हूं, सपनों की दुनिया में

भुला के सारे ग़म,

कभी ना लौटूंगी, इस पत्थर के संसार में

बड़ी ही हसीन है मेरे सपनों की दुनिया

मेरे सपनों की दुनिया………………

अर्चना होता
  ओड़िशा